Wednesday, July 14, 2010

क्या होगा इस देश का

आज देश के बारे मे कोई नहीं सोचना चाहता , ऐसा क्यो, हरकोई बस देश के पैसे को कैसे लूटा जाए इस पर विचार कर रहा है । चाहे आम आदमी हो या नेता जिसे जहा जो जैसे मिल रहा है बस समेटने मे लगा हुआ है ।बोल वो रहा है जिसे नहीं मिल रहा और जब तक ही बोल रहा है जब तक मिल नहीं जाता । मिलने के बाद वो भी चुप , कैसे होगा और क्या होगा एसे हमारा।एक बात तो जान लीजेएगा कि एसा ज्यादा नहीं चल पाएगा , फिर हवस बढ़ेगी और हममे से कोई फिर इस देश को बेच देगा और एक बात और अब दूसरा गांधी भी नहीं मिलेगा हमे ।